प्रस्तुत सेवाएँ

1. पर्यावरणिक प्रभाव का मूल्यांकन (ईआईए)।पर्यावरणिक प्रबंधन योजना (ईएपी) पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से पर्यावरणिक क्लीयरेंस प्राप्त करने के लिए कोयला परियोजनाओं तथा कोयला परिष्करण प्लांट के लिए अध्ययन


ईआईए/ईएमपी में लिए गए तथा कवर किए गए अध्ययन इस प्रकार हैं:
क. बेसलाइन डाटा का सृजन:कोर एवं बफर जोन में मौसमी डाटा, परिवेशी वायु एवं जल की गुणवत्ता ध्वनि स्तर, मिट्टी की क्वालिटी, भूमि उपयोग का अध्ययन, वनस्पति एवं जीव-जन्तु तथा जनसंख्या की सामाजिक स्थिति का रिकाडिंग कवर करना

ख. प्रभाव का मूल्यांकन तथा प्रबंधन योजना (इमोक्ट असिसमेंट तथा मैनेजमेंट प्लान:
भूमि पर खनन के कारण वायु, जल, और ध्वनि स्तर, जल-भूवैज्ञानिकी रेजिम, वनस्पति एवं जीव-जन्तु तथा समाज पर पड़े प्रभाव का मूल्यांकन शामिल करता है। पर्यावरणिक प्रभाव को घटाने के लिए उपयुक्त उपायों की प्लानिंग, तथा वायु, जल, एवं ध्वनि की कमी उपायों के माध्यम से स्थानीय पर्यावरण में सुधार, भूमि पुनरूद्धार, ग्रीन बेल्ट का विकास, पुनर्वास तथा रिस्टोरेशन (आरएंडआर) धँसान प्रबंधन, वास्ट मैनेजमेंट तथा परिस्थितिकी विकसित किया जाता है। कोयला एवं खनिज परिष्करण प्लांटों सहित ओपेन कास्ट एवं अंडरग्राउंड कोयला/खनिज माइन्स को कवर करते हुए 400 से अधिक ईआईए/ईएमपी का अध्ययन पूरा किया जा चुका है, जिसमें से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 350 से अधिक को पर्यावरणिक क्लीयरेंस दिया जा चुका है। इसमें 35 एमटी वाई की कोयला परियोजनाओं, पाइराइट माइन्स रेयर अर्थ, जिप्सम तथा बाक्साइट खान का ईआईए/ईएमपी शामिल है।

ग.क्षेत्रीय पर्यावरणिक अध्ययन:
ईब वैली, कोयलाफील्ड्स, वर्धा वैली कोयला फील्ड्स तथा ईस्ट बोकारो कोयला फील्ड्स के लिए खानों तथा अन्य उद्योगों को कवर करते हुए कोयला क्षेत्रों के लिए क्षेत्रीय ईआईए स्टडी तैयार कर किया गया है।

2. पर्यावरणिक मॉनिटरिंग:
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संविधिक निदेशों का अनुपालन करने के लिए सैम्पलिंग तथा विश्लेषण में अनुभवी तथा प्रशिक्षित कार्मिकों के माध्यम से माइनिंग परियोजनाओं तथा कोयला परिष्करण प्लांटों का पर्यावरणिक मॉनिटरिंग किया जाता है। सीएमपीडीआई मुख्यालय के पर्यावरणिक प्रयोगशाला को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मान्यता (रिकोगनाइज्ड) प्रदान कर दी गई है।

3. पर्यावरणिक विवरण तथा माइन क्लोजर प्लान:
कोयला मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के टर्म में खानों का सुरक्षित एवं कायम रखने योग्य क्लोजर के लिए विभिनन कोयला खनन परियोजनाओं तथा माइन क्लोजर प्लान (एमसीपी) का वार्षिक पर्यावरणिक विवरण नियमितता के आधार पर किया जाता है।

4.स्लोप स्टेबिलिटी तथा मिट्टी संरक्षण अध्ययन:
ओबी डम्प (बाह्य एवं आंतरिक क्षेत्रों) का स्लोप स्टेबिलिटी का विश्लेषण सीएमपीडीआई, मुख्यालय में स्थापित स्लोप स्टेबिलिटी सेल के माध्यम से पेश की गई सेवा का यह अन्य क्षेत्र है। वन क्लीयरेंस की शर्त के अनुपालन के लिए मिट्टी संरक्षण तथा प्रबंधन योजना भी बनाई जाती है।
अतीत में पूरी की गई परियोजनाओं में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की भुरकुण्डा ओपेनकास्ट परियोजना, जयंत ओसीपी (एनसीएल) के लिए स्लोप स्टेबिलिटी अध्ययन, तथा करमा तोपा, उरीमारी एवं सीसीएल की नार्थ ओपेनकास्ट परियोजनाओं के मिट्टी कटाव का अध्ययन इसके अंतर्गत आते हैं।

5. अभियंत्रिकी सेवाएँ (इंजीनियरिंग सर्विसेज):
औद्योगिक एवं घरेलू इफ्ल्यूसेंट ट्रीटमेंट प्लांट की प्लानिंग एवं डिजाइन के लिए सेवाएँ, जलापूर्ति वितरण नेटवर्क तथा जल ट्रीटमेंट सुविधाएँ बाहरी ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराई जाती है। कुछ नियोजित एवं डिजाइन्ड ट्रीटमेंट प्लांट,: लिदो एसिड माइन ड्रेंज, एनईसी निगाही, एनसीएल की जयंत एवं कृष्णशीला परियोजनाएँ, सीसीएल का कथारा वाशरी तथा रीजनल टेलीकाम ट्रेरिंग सेंटर का घरेलू गंदा जल, बीएसएनएल तथा अन्य सबों में राँची है। जल भू-वैज्ञानिक सेल के अनुभवी टीम के सहयोग से खानों (माइन्स) के लिए ग्राउण्ड वाटर का अध्ययन किया जाता है।

6.भूमि उपयोग की योजना:
जियोमेटिक विभाग के रिपोर्ट सेंसिंग सेल के सहयोग से पर्यावरण विभाग परियोजना तथा नगरी एवं क्षेत्रीय प्लानिंग हेतु सेटेलाइट इमेजरी तकनीक के द्वारा भूमि के उपयोग का अध्ययन करता हे।

7. रेन वाटर हारवेस्टिंग:
अमूल्य सतही जली स्त्रोत के संरक्षण/संवृद्धि के लिए रूफ टाॅप रेनवाटर हारवेस्टिंग योजना भी बनाई गई है।