जियामेटिक्स डिवीजन समेकित प्राकृतिक संसाधन सर्वेक्षण और प्रबन्धन के लिए सुदूर संवेदन, जी आई एस, जी पी एस, डिजीटल फोटोग्रामेट्री, लिडार, स्थलीय और खान सर्वेक्षण के लिए एक कोर मल्टी-डिसिप्लीनरी ग्रुप (कोर बहु अनुशासनिक दल) बनाता है। जियोमेटिक्स विभाग के पास एयरबोर्न (वायुवाहित) और सेटेलाईट डाटा की प्रोसेसिंग, जी आई एस, सर्वेईंग, फोटोग्रामेट्री, जियोलाजी, सिविल इंजीनियरिंग, कम्पयूटर साईंस और डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग के क्षेत्र में गहरा और व्यापक अनुभव वाले बहु अनुशासनिक टीम का एक प्रोफेशनल ग्रुप है।
सी एम पी डी आई स्लोप स्टेबिलिटी (ढलान स्थायित्वता), ग्राउण्ड सबसिडेंस मेजरमेन्ट, कोल माइन फायर मैपिंग, पर्यावरण प्रबन्धन, भूमि पुनरूद्धार तथा माइन क्लोजर मॉनिटरिंग के लिए टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण, खनिज गवेषण, भू उपयोग की आयोजना, वाटर शेड प्रबन्धन, एक्सकेवेशन मेजरमेन्ट से प्री-माइनिंग, सिन माइनिंग और पोस्ट माइनिंग रेजिंग जैसे खनन के सभी तीनों चरणों में जियोस्पासियल टेक्नोलाजी का व्यापक रूप से प्रयोग करता है। खनिज क्षेत्र के अलावे, सी एम पी डी आई इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग सम्भावित पिट हेड तथा तटीय विद्युत संयंत्र स्थलों, जलाशय के सिलटेशन, सोडिक भूमि के मानचित्रण और अन्यों के बीच तटीय क्षेत्र प्रबन्धन का पता लगाने के लिए करता है।
खनन क्षेत्र में जियोस्पासियल टेक्नोलाजी का बेहतर उपयोग करने के लिए कोल इण्डिया/ सी एम पी डी आई को खनन में जियोस्पासियल प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए अम्स्टर्डम, नीदरलैण्ड में जियोस्पासियल वर्ल्ड एक्सीलेंस अवार्ड 2012 प्रदान किया गया।