मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है, इसलिए यह कार्बन डायक्साइड की अपेक्षा वातावरण में इसके शार्टर रजिडेंस और हाइयर पोटेंसी के कारण विपरीत प्रभाव अधिक तीव्रता से महसूस किया जाता है।
मीथेन, कोयला निर्माण प्रक्रिया के उप-उत्पाद के रूप में कोयले से सम्बद्ध है। यह कोयला संस्तरों के बीच में दबा रहता है तथा खनन के दौरान तथा बाद में रिलीज (निकलता) होता है। भूमिगत कोयला खनन में इस मीथेन से दुर्घटनाएं होती रहती हैं।.
कोल बेड मीथेन कोयला भंडारों के साथ एसोसिएटेड होता है और कोयला खनन के दौरान निकलता है, को यदि प्रभावी तरीके से प्राप्त किया जाए तो यह ऊर्जा के महत्वपूर्ण संभावित स्रोत हो सकता है।
भारत में कोयला खानों से मीथेन को निकालने और इसके उपयोग को निम्नलिखित कारणों से शुरू नहीं किया जा रहा हैः-
- नवीनतम प्रौद्योगिकी की कमी
- विषेषज्ञता और अनुभव की कमी
- मीथेन के दोहन और उपयोग के व्यावसायिक विएबिलिटी के कारण संदेहपूर्ण
यह परियोजना खान से सम्बन्धित सी एम एम प्रदर्शन परियोजना है, जिसका कार्यान्वयन भारत के झारखण्ड राज्य के झरिया कोयला क्षेत्र, बी सी सी एल के सुदामडीह और मूनीडीह खान में किया जा रहा है। इस परियोजना की अवधि 5 वर्षों की है। 76.85 करोड़ आकलित लागत के साथ इसका अनुमोदन भारत सरकार द्वारा किया गया था।
परियोजना की फंडिंग के लिए विभिन्न सहयोगियों और उनके अंशदान को नीचे दिया जा रहा हैः-
सहयोगी | राशि करोड़ में (सितम्बर, 98 [at] 42.50 यूएस $ ) | |
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क | यू एन डी पी/ जी ई एफ | 39.09 |
ख | यू एन डी पी | 5.14 |
ग | भारत सरकार: i) नकद ii) काईंड |
17.29 7.00 |
घ | शुरूआती समयावधि में सी बी एम के दोहन के उपयोग के लेखे पर परियोजना से प्राप्त आय का राजस्व लागत का भाग पूरा किया गया. | 8.33 |
समग्र योग | 76.85 |